Explain the Scope of Geography.

 
भूगोल का कार्यक्षेत्र
(SCOPE OF GEOGRAPHY) 

आधुनिक भूगोल का कार्यक्षेत्र पृथ्वी के वर्णन से कहीं अधिक है। वर्तमान में भगोलवेत्ता पृथ्वी का वर्णन केवल शब्दों, मानचित्रों तथा सांख्यिकी के माध्यम से ही नहीं करता वरन् उसमें इस तथ्य की भी व्याख्या करता है कि पथ्वी में विभिन्न भागों में विभिन्न वस्तुओं का वर्तमान वितरण प्रतिरूप क्यों है ? आधनिक भी का अध्ययन तथा विभिन्न वितरणों (उदाहरण के लिये, आर्थिक क्रियाओं आय का वितरण) के मध्य अन्तर्सम्बन्धों के वितरणों का अध्ययन तो किसी है, साथ ही इन सम्बन्धों तथा अन्तसम्बन्धों के परिणामस्वरूप निर्मित प्रादेशिक का अध्ययन भी भूगोल के कार्यक्षेत्र में सम्मिलित होता है।

पिछले 3-4 दशकों के भौगौलिक अध्ययनों का परिणाम यह हुआ है कि आप भूगोल ने वर्तमान में मानव द्वारा विश्व की व्याख्या करने की योग्यता में अभनप र कर दिया है। इसके लिये अध्ययन के निम्न चार परम्परागत कार्यक्षेत्रों का उपयोग भूगोलवेत्ताओं द्वारा किया गया है :

(i) स्थानिक वितरण प्रतिरूप, (ii) भूमि तथा उसके निवासियों के मध्य सम्बन्ध (iii) प्रदेश में विभिन्न वस्तुओं (भूदृश्यों) का वर्तमान वितरण क्यों है ? इस तथ्य का विश्लेषण तथा व्याख्या एवं (iv) भौतिक विश्व के विभिन्न तथ्यों की वैज्ञानिक दृष्टि से जानकारी।

यह एक रुचिकर तथ्य है कि भूगोल के कार्यक्षेत्र के उक्त चारों परम्परागत क्षेत्रों का अध्ययन प्रारम्भिक यूनानी विद्वानों ने अपने-अपने कार्यों में किया। उदाहरण के लिये : 

स्थानिक वितरण-टॉलमी के योगदान में,

मानव-भूमि सम्बन्ध-हिप्पोक्रेट्स के योगदान में,

प्रदेश या क्षेत्रीय अध्ययन-स्ट्रेबो के योगदान में एवं 

भौतिक विश्व का अध्ययन-अरस्तू के योगदान में उल्लेखनीय रहे हैं।

वर्तमान में भूगोल के उक्त चार परम्परागत कार्यक्षेत्र तो हैं ही, साथ ही भूगोल का एक संश्लेषणात्मक तथा अन्तर्सम्बन्धात्मक विषय माना जाता है (Geography is a synthesizing and integrating discipline.)। इसी कारण भूगोल का अब अनेक विषयों के विषय क्षेत्रों को परस्पर जोड़ता है। इन विषयों में भौतिक इंजीनियरिंग, सामाजिक विज्ञान के विषय तथा मानवशास्त्र सम्मिलित है। वर्तमान में भूगोल एक ऐसे विज्ञान के रूप में विकसित हो गया है जिसकी सीमारखा स्वतंत्र विषय एक-दूसरे से अन्त:सम्बन्धित रूपों में छाये हए मिलते हैं। इस दृष्टिगत रखते हुए जेम्स एस. फिशर (James S. Fisher) ने भूगोल क तीन मुख्य विभागों तथा 13 उपविभागों में विभक्त किया :

(i) भौतिक भूगोल, (ii) मानव भूगोल एवं (iii) भौगोलिक त​कनिके।

उक्त तीने विभागों में भौतिक भूगोल को निम्न चार उपविभागों (शाखाओं) में विभक्त किया जाता है:


(भूआकृति विज्ञान, (ii) जलवायु विज्ञान, (iii) जैव भूगोल एवं (iv) मृदा भूगोला मानव भूगोल को निम्न पाँच उपविभागों (शाखाओं) में विभक्त किय जाता है :

(i) जनसंख्या भूगोल, (ii) आचरण भूगोल, (iii) आर्थिक भूगोल, (iv) राजनीतिक भूगोल एवं (v) ऐतिहासिक भूगोल।

Explain the Scope of Geography.
भूगोल के कार्यक्षेत्र 

भौगोलिक तकनीकों को निम्न चार उपविभागों (शाखाओं) में विभक्त किया जाता है :

(i) भौगोलिक सूचना प्रणाली, (ii) मानचित्रकला, (iii) भूगोल में मात्रात्मक विधि याँ एवं (iv) दूर संवेद। _भूगोल की उक्त सभी शाखाओं पर फिशर द्वारा स्वतंत्र विषयों के सम्बन्धों को भी चित्र में स्पष्ट किया गया है। - वर्तमान में भूगोल के कार्यक्षेत्र में आचरण भूगोल (Behavioural Geography), मानवतावादी भूगोल (Humanistic Geography), मानव कल्याणपरक भूगोल (Human Welfare Geography), मानव पारिस्थितिकी (Human Ecology), तंत्र विश्लेषण (System Analysis), सांख्यिकी (Statistics), कम्प्यूटर तंत्र (Computer System), वायु फोटोग्राफी (Areal Photography) तथा सुदूर संवेदन (Remote Sensing) आदि को भी सम्मिलित किया जाने लगा है। वर्तमान समय में इनका अध्ययन करना अत्यावश्यक है क्योंकि मानचित्रकला में वायु फोटोग्राफी, कम्प्यूटर तंत्र तथा सुदूर संवेदन की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो गयी है। वायु फोटोग्राफी तो दुर्गम क्षेत्रों के लिए वरदान सिद्ध हो गयी है। ऐसे क्षेत्र जहाँ मानव की पहुँच नहीं है, वहाँ के भूगोल के बारे में जानकारी नहीं होती, किन्तु अब वायु फोटोग्राफी के द्वारा उन दुर्गम क्षेत्रों के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है। जो प्रादेशिक नियोजन व विकास के लिए अति आवश्यक है। इसी भाँति नगरीय नियोजन में भी यह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।