modern means of entertainment essay in hindi


 संकेत बिन्दु : भूमिका, मनोरंजन की आवश्यकता, पुराने साधन, आधुनिक साधन, उपसंहार।

जीवन को ऊबाउ और बोझिल होने से बचाने के लिए मनोरंजन आवश्यक है। शारीरिक या मानसिक श्रम के पश्चात् विश्राम एवं मनोरंजन व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। जीवन में आनन्द उत्साह, स्फूर्ति का भाव मनोरंजन से ही आता है। मनोरंजन व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ाता है। यह हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यावश्यक है।

प्राचीन काल से ही मनोरंजन का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। लोक नृत्य एवं संगीत, कृषि ऋतुओं के बाद त्योहारों के मौसम, शादी-ब्याह के आयोजन- सभी मनोरंजन के पारंपरिक साधन रहे हैं। गाँवों की चौपाल, कबड्डी और खो-खो जैसे खेल, शतरंज, मल्ल युद्ध, घुड़दौड़, नौटंकी-नाटक, भजन-कीर्तन, देशाटन एवं तीर्थ-यात्राएँ सभी प्राचीन काल से ही लोगों की मनोरंजन की आवश्यकता के पूरक रहे हैं।

समय बदला और मनोरंजन की ललक ने अनेक नये मनोरंजन के साधनों को जन्म दिया। खेल और फिल्मों ने सबसे ज्यादा लोगों का मन मोहा। क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैटमिंटन, एथेलेटिक्स, मुक्केबाजी, जैसे खेलों ने सारे संसार के बच्चों और युवाओं को ऊर्जा से भर दिया। फिल्मों ने मनोरंजन की नयी परिभाषाएँ गढ़ दीं। उपन्यास, पत्र-पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों ने लोगों की सुबह एवं शामों को गुलजार कर दिया।

आधुनिक समय में टेलिविजन और कम्प्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम मनोरंजन के प्रमुख साधन बन गये हैं। मनोरंजन का सारा संसार अब आपके कमरे में सिमट गया है। जीवंत समाचार, मैचों का लाइव प्रसारण, फिल्में तथा सीरियल्स, कॉमेडी, एडवेंचर-सभी एक बटन दबाते ही आपका मन बहलाने को हाजिर हो जाते हैं। मनोरंजन के आधुनिक साधन के रूप में पिकनिक, पार्टी तथा पर्यटन भी तेजी से उभरे हैं। बच्चे तो आज 'गेम' नहीं के बराबर खेल रहे, 'विडियोगेम' के ही दीवाने हैं। इंटरनेट ने युवाओं का मन मोह लिया है।

मनोरंजन के इन आधुनिक साधनों के कुप्रभाव भी सामने आ रहे हैं। खेलों एवं शारीरिक मेहनत की ओर बच्चों एवं युवाओं का घटता रूझान अब स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंताएँ पैदा कर रहा है। उसी प्रकार लोगों का अपने कमरों में सिमट जाना एक सामाजिक समस्या बनती जा रही है।