Letter from a friend for climate change.


मकान नं.-3880
पहाड़गंज, ऊटी
13 जून, 2011

मेंरी प्यारी सखी राजलक्ष्मी

तुम सदा मेरे लिए शुभकामनाएँ भेजती और मेरे स्वास्थ्य के विषय में पूछती रही हो। इसके लिए यदि मैं तुम्हें धन्यवाद दूँ तो वह बनावटीपन होगा।

प्यारी सखी, जब से मैं यहाँ आई हूँ, मुझे तुम-सी विनोदी और सहृदय सखी कोई नहीं मिली । यहाँ की जलवायु मेरे लिए सर्वथा अनुकूल है। इस जगह पर न तो गर्मी है, और न ही गया-सा शोर । पिताजी ने एक कमरा किराये पर ले लिया था। इस समय माताजी मेरे साथ हैं । पिताजी तो दो दिन ही यहाँ ठहरे फिर कोलकाता चले गए। प्रतिदिन के हिसाब से कमरे का हम 60 रुपये किराया दे रहे हैं। यहाँ हर प्रकार की सुविधा है। खाने-पीने की वस्तुएँ सुलभ हैं। यहाँ आए हमें लगभग बारह दिन हो गए हैं। इन थोड़े ही दिनों में मैं अपने शरीर में विशेष ताजगी महसूस कर रही हूँ। मैं अब पहले से ज्यादा स्वस्थ हूँ। तुम्हें इस बात से आश्चर्य होगा कि इन दिनों मेरा वजन दो किलोग्राम बढ़ गया है।

तुम्हारे घर की मिसी कितनी भोली और प्यारी थी। उसका खेल मन को मुग्ध कर देता था। बस, उसी तरह यहाँ भी दो खरगोश हैं। वे भी बड़े प्यारे और भोले हैं। उनके खेल-कूद मन को मोह लेते हैं; किन्तु तेरी याद सताती रहती है। पत्र-द्वारा अपना समाचार लिखना। हमारे जीजाजी कैसे हैं ? आजकल उनकी तैयारी कैसी चल रही है ? मेरी ओर से अपनी माताजी को नमस्ते कहना और बाकी सखियों को भी बहुत-बहुत प्यार । पत्र लिखती रहना।

तुम्हारी प्रिय सखी,
नुपुर रानी